मद्रास उच्च न्यायालय ने चेन्नई के एस हरीश नाम के एक व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी थी, जिस पर अपने मोबाइल फोन पर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री डाउनलोड करने का आरोप लगाया गया था।और कहा कि इस तरह की सामग्री देखना अपराध नहीं है। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में गया और सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना और स्टोर करना पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध है।